Tuesday, September 16, 2008

What is the actual meaning of SAIFI?

Welcome to the Saifi Community Blog.


I made this blog to discuss all about Saifi Community. About Saifi Community History, Issues and Achievements.

This is my first post on this blog and i want to know the actual meaning of SAIFI. Please give the appropriate meaning so that we all should know who we are.

Please response so that all the world should knows who the Saifi Actually Are.

4 comments:

Unknown said...

The word "Saifi " literally means sword. It was derived in 1975 from the Islamic History by Maulana Farqaleet and relates with the reference of Hazrat Abu Saif (work as blacksmith), . The brothers of Muslim community whose main area of work was that of blacksmiths and carpenters started using "Saifi" with their names to maintain their identity. The Saifi's are considered as "born engineers" because of their craftsmen skills.

Testimone said...

@Sarfaraz

Thanks for the inforamtion.

If Anyone has different information then please commnet here. we All should know the right defination about Saifi Community.

I think Sarfarz has given the right defination.I want to know others opinion regarding this.

Naushad said...

the word saifi is comes from the arabic dictionary it means the person who makes the sword(talwar) in the aicient time the saifi works to make swords and other thing of wood and iron, the origin of saifi is arabia and persia in the time of mughal and or before the saifis come to india with the army of mughals to make swords and other things like topkhana etc, from then they are here.

Unknown said...

सैफ़ी क्या हैं ओर दिवस क्या है एक नज़र...?

सैफ़ी नाम एक हुनरमंद क़ौम का नाम है जो भारत मै मुस्लिमों धर्म की कहीं पहली तो कहीं दूसरी तो कहीं तीसरी सबसे बड़ी बिरादर है, सैफ़ी अपने हुनर ओर काम से पहचाने जाते हैं जो इस बिरादर को अल्लाह का एक नायाब तौहफ़ा इसकी जिंन्स मैं ही अता किया गया है.

भारत मैं सैफ़ी 1974 को दिये नाम से जाना जाता है वहीं दुनियां मैं इसके ओर बहुत से नाम हैं सैफ़ी समाज मैं जहां हज़ारों ख़ूबियां हैं वहीं बड़ी ख़ामियां भी हैं जिनकी वजह से ये क़ौम बाकी क़ौमों से अलग है, ख़ूबियां जहां इसको बुलंदी पर पहुंचाती हैं वहीं ख़ामियां इसी क़ौम को असल मक़सद से पीछे धकेल कर वहीं ज़मीन पर ले आती हैं, डालते हैं इस क़बीले की ख़ूबियों ओर ख़ामियों पर एक नज़र...?

सबसे पहले मैं सैफ़ी समाज की ख़ूबियां आपके सामने ओर अपने के सामने रखने की कोशिश करता हुँ ओर मेरी बात से सैफ़ी शायद इत्तेफ़ाक़ ना करें लेकिन मुल्क की बाक़ी क़ौम जो सैफ़ियों को जानते हैं वो ज़रूर इत्तेफ़ाक़ करेंगे...
१. सैफ़ी समाज ही दूसरी ऐसी क़ौम है जो भारत मैं कन्वर्टिड (हिन्दुओं से मुस्लिम बनी) नहीं है, पहली असल बिरादर सैय्यद हैं दूसरे पहले शेख़ ओर अब सैफ़ी नाम से जाने जाते हैं...

२. सैफ़ी का काम लोही लकड़ी के साथ हर उस मशीनी काम से जुड़ा है जो इंसान को आगे बढ़ाने के साथ ज़िंदगी की अहम ज़रूरतों के लिए ज़रूरी है यानि मैकेनिकल वर्क जिसमे सूई से लेकर हवाई जहाज़ तक सब आते है यानि इंसान की पैदाईश से लेकर मरने तक इस क़ौम ओर क़बीले का साथ इंसान की ज़िंदगी मैं ज़रूरी है.

३. सैफ़ी समाज जहां हुनर के बादशाह हैं वहीं मिलनसार भी बहुत होते हैं मगर दूसरी क़ौमों के लिए अपनों के लिए तो बस हुनर का दिखावा ओर ख़ामियां निकालना ही हमारा सबसे बड़ा मक़सद होता है...

४. सैफ़ियों के हुनर की पहचान आज भी तमाम दुनियां के साथ भारत मैं भी देखी जा सकती है, किसी भी अज़ीम इमारत को आप देखें उसको बनाने मैं सैफ़ियों का योगदान सबसे पहले ओर सबसे बड़ा आपके सामने आयेगा, क्यूंकि जितने भी मज़दूर ओर कारीगरों ने इमारत को अज़ीम बनाने के लिए तब ही क़दम आगे बढ़ाया है जब इस क़ौम ने उसके हाथों मैं औज़ार बनाकर दिये हैं...

५. सुना होगा पहले के ज़माने मैं जंग हौंसले के साथ हथियारों के बल पर जीती जाती थी ओर हौंसला भी अच्छे हथियार से ही मिलता था तब इस क़बीले ने अपने हुनर से बादशाह से लेकर पैदल सिपाही तक के लिए औज़ारों से हथियारों को तराश कर तैयार किया है हर जंग मैं चाहे जीत की ख़ुशी हो या हार का ग़म इस क़बीले का हुनर काम ओर नाम सामने ज़रूर रहा है...

६. सबसे बड़ी ख़ूबियों मैं से एक ख़ूबी इस क़ौम की ये रही है कि ये ख़तरनाक हथियारों का जन्मदाता ज़रूर रहा है लेकिन कभी हिंसक नहीं रहा, प्यार मुहब्बत इस क़बीले के दिलों मैं कल भी थी ओर आज भी है ओर हमेशा रहेगी क्यूं..?
क्यूंकि इसकी जिंस मैं ही पैदा करने वाले ने इसको डाल दिया है...

७. सबसे गर्व की बात तमाम दुनियां की जेलों मैं ओर सड़कों पर भीख मांगता सैफ़ी समाज नाम मात्र को मिलेगा क्यूं...?
वो इस लिए कि बुराई के कामों से इस क़बीले को नफ़रत रही है ओर अगर कोई बुराई की तरफ़ चला भी जाता है तब इस क़बीले के लोग अपने उस साथी को बुराई की ख़ातिर ख़ुद ही अपने से दूर कर देते हैं यही वजह है हम जेलों से दूर हैं, ओर हुनर इसके पास इतना है कि इसको कभी काम की कमी ही मेहसूस नहीं होती उल्टे अपने हुनर को दूसरों को बांटता रहता है यही वजह है आज छोटी कही जाने वाली जातियां लोहे ओर लकड़ी के कामों मैं आगे बढ़ रही हैं...

८. ऊपर मैने लिखा था जब तक सैफ़ी क़बीले के हुनर को हमारे मुल्क की सरकार मुल्क की ख़िदमत के लिए खुलकर इस्तेमाल नहीं करेगी तब तक मेरे मुल्क की तरक्की मुमकिन नहीं है क्यूं कहा था मैने मैं अब इसका ख़ुलासा करता हुँ, जैसा कि मैं ऊपर की पोस्ट मैं लिख चुका हुँ कि मुल्क की तरक्की के लिए मुल्क का अपने पैरों पर ख़ड़ा होना ज़रूरी है .
आज हमारा मुल्क जो हथियार विदेशों लाखों डालर देकर ख़रीदता है उसी हथियार को ओर उससे भी बेहतर हथियार को सैफ़ी क़ौम कुछ रूपयों मैं बनाकर तैयार कर सकती है ओर हमारा मुल्क फ़ौज़ी हथियारों की दौड़ मैं दुनियां मैं सबसे आगे होगा ये मैं यक़ीन से कह सकता हुँ...

लेखक
चौ० साजिद सैफी
राष्ट्रीय अध्यक्ष - युवा, सैफी वेलफेयर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (राजि०)